Monday, July 6, 2009

जनता के लिए खास नहीं रहा बजट

केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की ओर से सोमवार को पेश किया गया बजट जनता के लिए खास नहीं रहा। उसे बजट में खास जगह नहीं मिली। बजट में विभिन्न टैक्स को कम करने पर जहां खास जोर दिया गया, वहीं उद्योगों की मंदी को लेकर किसी बड़े पैकेज का ऐलान नहीं किया गया। उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार ने टैक्स तो कम कर दिए मगर मंदी से उबरने के लिए कोई बड़ा पैकेज नहीं दिया।बजट में आम वस्तुओं में सरकार ने मोबाइल, वाटर प्यूरीफायर, केबल वायर, ब्रांडेड ज्वेलरी, एलसीडी स्क्रीन आदि के दाम कम किए हैं, वहीं महंगाई को देखते हुए इस बार आम उपभोक्ता वस्तुओं मंे कोई गिरावट नहीं हुई। बुद्धिजीवियों ने बजट को मिला-जुला करार दिया है। उनका कहना कि सरकार ने इस बार सिर्फ टैक्स पर खास ध्यान दिया है। इसमें सरचार्ज, फ्रिंज टैक्स, कापरेरेट टैक्स को हटा दिया गया।

कर्मचारियों का वेतन स्तर बढ़ा :- चार्टर्ड एकाउंटेंट तरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि इस बजट से कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी होने की संभावना है। मिनिमम वेजेज निर्धारित करने से श्रमिकों को इस बजट से काफी राहत मिल सकती है।अभी मेहनत के बाद भी उन्हें सही वेतन नहीं मिल पाता है। आईसीएआई के प्रधान एसके बंसल ने बजट को मिला-जुला बताया। बजट में फ्रिंज बेनेफिट टैक्स को हटाने का उन्होंने स्वागत किया। माल भाड़े पर सर्विस टैक्स लगाने को उन्होंने गलत बताया।

निराशाजनक रहा आम बजट :- रीयल स्टेट से जुड़े दिव्यंेदु शेखर ने बजट को निराशाजनक बताया। उनका कहना है कि निर्माण के क्षेत्र मंे सरकार ने कोई पैकेज नहीं दिया। इससे मंदी को खत्म होने में समय लगेगा। उद्योगपति शंकर शर्मा का कहना है कि बजट से उद्योगों को खास फायदा नहीं होने वाला। हालांकि अन्य क्षेत्रों में शिक्षा और कृषि में इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

बिजली पर नहीं दिया गया ध्यान :- चार्टर्ड एकाउंटेंट संगीत कुमार गुप्ता और संजीव गुप्ता का कहना है कि सरकार को बिजली के मामले में कुछ प्रभावकारी कदम उठाने चाहिए। उद्योगों को इस समस्या से भारी नुकसान हो रहा है। जिले में लगातार बिजली की कमी ने सभी के लिए समस्या पैदा कर रखी है। बजट में बिजली स्रोत को बढ़ाने के कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।

पेट्रो पदाथरें के बढ़े रेट वापस लिए जाएं :- विज्ञापन एजेंसी में काम करने वाले ऋषि का कहना है कि मोबाइल के दाम कम करने से क्या होगा। मोबाइल तो पहले से ही सस्ते थे। सरकार को ईधन के बढ़ाए दामों को वापस लेना चाहिए था। सरकार को महंगाई दर कम करनी चाहिए। हालांकि छात्रों के लिए नई केंद्रीय यूनिवर्सिटी की निर्माण योजना अच्छा कदम है।वहीं मार्केटिंग क्षेत्र से जुड़ी सोनिया का कहना है किसरकार को खाद्य और घरेलू सामानों के दामों में और कमी लानी चाहिए थी। इससे गरीब तबके को राहत मिलती।डाक्टर और वकीलों के ऊपर सर्विस टैक्स लगाने को लेकर दोनों वर्ग ने निराशा जाहिर जताई है। आईएमए के अध्यक्ष डा. अनिल गोयल ने सर्विस टैक्स लगाए जाने पर इलाज के महंगे होने की संभावना जताई है।उन्होंने कहा कि इससे सबसे ज्यादा मार गरीब व मध्यम वर्ग को पड़ेगी। वहीं एडवोकेट अश्विनी त्रिखा ने भी इसे गलत बताया और इससे महंगाई बढ़ने की आशंका व्यक्त की है। हसला के पूर्व प्रधान सुशील कण्वा ने कहा कि आयकर की सीमा पुरुषों के लिए दो लाख, महिलाओं के लिए ढाई लाख और सीनियर सिटीजन्स के लिए तीन लाख होनी थी। आयकर की सीमा जो बढ़ाई गई है वह बहुत कम है।

वकीलों ने की सेवा कर की निंदा:-केंद्रीय बजट में वकीलों पर सेवा कर लगाने की कड़ी निंदा की गई है। पलवल बार एसोसिएसन के सदस्य शिवराम सौरोत व भूप सिंह सौरोत एडवोकेट ने उक्त फैसले की कटु आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वकील लोगों को न्याय दिलाते हैं, ऐसे में उन पर सेवा कर लगाना निंदनीय है। सौरोत ने कहा कि वकीलों का कार्य समाज सेवा के दायरे में आता है।वकील प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लोगों की सेवा करते हैं। लोगों को न्याय दिलाना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा सेवा कर लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा जिन लोगों की वकील करने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे लोगों के केस वकील मुफ्त लड़ते हैं और उन्हें न्याय दिलाते हैं। साथ ही वकील न्याय पालिका का अहम हिस्सा है।सरकार ने वकीलों पर कर लगाकर उनके साथ कुठाराघात किया है। वकील समुदाय सरकार के फैसले का पुरजोर विरोध करता है और सरकार से फैसला तुरंत वापिस लेने की मांग करता है।