Tuesday, May 12, 2009

भुवनेश्वर की दो छात्राओं को नासा का अवार्ड

भुवनेश्वर। अमेरिका के नेशनल एयरोनाटिक्स स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा के स्पेस सेटलमेंट डिजाइन कांटेस्ट-2009में उड़ीसा की दो छात्राओं को सर्वोच्च सम्मान मिला है। ये छात्राएं स्थानीय सेंट जेवियर हाईस्कूल, केदारगौरी और बीजेबी जूनियर कालेज की हैं। 14 देशों के 875 छात्रों ने अंतरिक्ष विज्ञान संबंधी जागरूकता को लेकर 309 प्रकल्पों में उक्त प्रतियोगिता भाग लिया था। इसमें सर्वोच्च पुरस्कार स्वस्तिका भट्टाचार्य और पूजा भट्टाचार्य को मिला है।उक्त दोनों बहनों के प्रकल्प: ओरिशान डिजाइन इनस्पायर्ड सिस्टम एंड एयरो व्हेकिल्स को सर्वोच्च पुरस्कार मिला है। इनके साथ कनाडा के एरिक याम को संयुक्त रूप से यह सम्मान मिला है।दोनों छात्राओं द्वारा उड़ीसा के परशुरामेश्वर, मुक्तेश्वर और लिंगराज मंदिर के स्थापत्य की तर्ज पर एक वक्राकार विमान तैयार कर उसे अंतरिक्ष में भेजने का प्रकल्प तैयार किया गया था। इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए इनके गाइड डा. दीपक भट्टाचार्य ने कहा कि संपूर्ण मौलिक विचारधारा को लेकर इन छात्राओं ने चक्राकार मंदिर के ढांचे में राकेट बनाया है। इसका नाम गजराज रखा गया है। राकेट के ऊपरी हिस्से में अकबर तथा निचले हिस्से में महायान के अंतर्गत ईधन की व्यवस्था की गई है। गाइड ने कहा की गजराज एक वजनदार प्रक्षेपक होने के कारण अंतरिक्ष यान को चंद्रमा तक पहुंचाने में मददगार साबित होगा। इन छात्राओं के प्रकल्प को उच्च स्तरीय प्रकल्प बताया जा रहा है।

आरुषि की बरसी मना तलवार दंपती ने छोड़ा घर

नोएडा । आरुषि हत्याकांड की गुत्थी एक वर्ष बाद भी नहीं सुलझ सकी। लेकिन इसके जख्म अब भी उनके दिलों में हरे हैं, जिनसे संदेह के आधार पर पूछताछ की गई। भले ही किसी पर आरोप साबित न हो सका, लेकिन उन्हें किसी न किसी रूप में आज भी परेशानी उठानी पड़ रही है। आरुषि के माता-पिता तलवार दंपती तो इतना अधिक आहत हुए कि जिस घर में बेटी की याद बसी थी, उसे छोड़ गए।आरुषि के माता-पिता डा. राजेश तलवार और डा. नूपुर तलवार ने नोएडा स्थित एल-32 मकान को हमेशा के लिए छोड़ दिया। वह रहने के लिए दिल्ली चले गए। घर छोड़ने से पहले आरुषि की आत्मा की शांति के लिए दस दिनों पहले यहां उसकी बरसी पर पूजा अर्चना कराई। इसमें खास दोस्तों एवं परिजनों को बुलाया गया। ज्ञात हो कि बेटी के कत्ल के आरोप में जेल से रिहा होने के बाद डा. राजेश तलवार पत्नी नूपुर के साथ काफी दिनों तक एल-ब्लाक स्थित अपनी ससुराल में रहे। कुछ दिनों बाद वह दिल्ली रहने चले गए। इस बीच कभी-कभी इनका एल-32, सेक्टर 25 स्थित घर पर भी आना-जाना लगा रहता था। जिस घर में उन्होंने अपनी बेटी को खोया था, उसमें उनका कभी दिल नहीं लगा।दूसरी ओर, आज भी लोग डाक्टर तलवार के तीनों नौकरों को शक की निगाह से देखते हैं। उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई हो या सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सबूत न हो, लेकिन बहुत से लोग उन्हें ही दोषी मानते हैं। आरुषि हत्याकांड में डा. तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को शामिल मानते हुए गिरफ्तार किया, लेकिन साबित नहीं कर सकी। उसके जीजा भीम बहादुर थापा का कहना है कि कृष्णा की जिंदगी पूरी तरह से तबाह हो गई है। नौकरी की तलाश में वह आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहा है। यही हाल डा. दुर्रानी दंपती के नौकर राजकुमार का भी है। जेल से छूटने के बाद वह नेपाल लौट चुका है। उसके चचेरे भाई महेंद्र का कहना है कि नेपाल में उसने नौकरी की काफी तलाश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उधर डा. तलवार के पड़ोसी का नौकर विजय मंडल भी जेल से छूटकर झारखंड चला गया।आरुषि हत्याकांड के वक्त डा. तलवार के घर के आसपास के फ्लैट में काम करने वाले ज्यादातर नौकर व ड्राइवर सीबीआई की पूछताछ के डर से शहर छोड़कर चले गए। जो बचे हैं वो भी दहशत में हैं। कोई भी नया नौकर या ड्राइवर यहां काम करने को तैयार नहीं है। एल 28 का ड्राइवर गजराज भी सीबीआई के पूछताछ करने के बाद ही नौकरी छोड़कर गया था। एक और नौकर जयवीर का कहना है कि हत्याकांड के बाद इस जगह से अपनत्व का भाव ही खत्म हो गया है। मजबूरी में काम करने आना पड़ता है।

आरुषि हत्याकांड-एक नजर में

-16 मई : सुबह डीपीएस छात्रा आरुषि का शव एल 32, सेक्टर 25 स्थित उसके कमरे में मिला। नौकर हेमराज के गायब होने पर पुलिस ने हत्या का शक उस पर जताया

-17 मई : 24 घंटे बाद ही नौकर हेमराज का शव छत पर मिला। सेक्टर-20 थाना प्रभारी और एसपी सिटी का तबादला। एसटीएफ भी जांच में शामिल

-23 मई : आरुषि के पिता डा. राजेश तलवार को दोहरे हत्याकांड का दोषी बताते हुए नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया। मेरठ रेंज के आईजी ने कहा कि आरुषि को नौकर हेमराज के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखकर डा. तलवार ने उसकी हत्या की

-एक जून : सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। आईजी, डीआईजी व एसएसपी का तबादला

-13 जून : नार्को टेस्ट के बाद सीबीआई ने डा. तलवार के कपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया

-27 जून : डा. अनीता दुर्रानी का नौकर राजकुमार गिरफ्तार

-11 जुलाई : सीबीआई ने विजय मंडल को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। पर्याप्त सुबूत न होने के कारण डा। तलवार को पचास दिन बाद मिली जमानत-9 सितंबर : सीबीआई ने कहा कृष्णा, राजकुमार व विजय मंडल के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं। चार्जशीट दाखिल करने से इन्कार


-12 सितंबर : कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को मिली जमानत।

प्रधानमंत्री के बयान पर भड़के सिख

नई दिल्ली: दिल्ली में हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल गया। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने सोमवार को पंजाब में कहा था कि सिख समाज '84 के सिख विरोधी दंगों को भूल जाए। इस मामले का पटाक्षेप हो चुका है। इस बयान से विरोधियों, खासकर शिरोमणि अकाली दल को एक मुद्दा मिल गया है। चूंकि बुधवार को पंजाब में मतदान होना है, इसलिए विरोधी दल इसे हर हाल में भुनाना चाहता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री के इस बयान को शिरोमणि अकाली दल ने तूल दे दिया। साथ ही प्रधानमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी शिअद नेता व समर्थक डा. मनमोहन सिंह के खिलाफ आग उगल रहे थे। भड़के सिखों ने प्रधानमंत्री को कातिलों का सरदार तक कह डाला।उनका कहना था कि आज सिख होकर प्रधानमंत्री सिखों के कत्लेआम को भुलाने की बात कर रहे हैं। क्या देश को कहेंगे 1947 को भूल जाएं। दंगे में निर्दोष सिख मारे गए थे, किसी का सुहाग उजड़ा तो कई बच्चा यतीम हो गए। डा. मनमोहन सिंह के परिवार या उनके रिश्तेदार इस दंगे के शिकार नहीं हुए इसलिए वह इसे भुलाने की बात कर रहे हैं। अकाली दल के नेता कुलदीप सिंह भोगल, अवतार सिंह हित, जसवीर सिंह काका व महेंद्र पाल सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मानवता व धर्म भूलकर कुर्सी को प्राथमिकता दे रहे हैं। '84 में सिखों का कत्लेआम देश हमेशा याद रखेगा। इसे देश के इतिहास में हमेशा काले अक्षरों में याद किया जाएगा। कत्लेआम की अगुवाई करने वाले जगदीश टाइटलर को सरकार बचा रही है। उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

भाजपा ने भी की बयान की आलोचना

प्रधानमंत्री के सिख विरोधी दंगों को भुलाने के बयान की भारतीय जनता पार्टी ने भी आलोचना की। प्रदेश के महामंत्री आरपी सिंह ने कहा कि ऐसा कह कर प्रधानमंत्री ने पद की गरिमा धूमिल की है। साथ ही उन्होंने परोक्ष रूप से भारत की न्यायपालिका पर दबाव भी बनाया है। उन्होंने कहा कि जब '84 के दंगों को सिख कौम भूल सकता तो जालियांवाला बाग में जनरल डायर द्वारा सिखों को गोलियों से उड़ाने की घटना को भी भूल गया होता।