नोएडा । आरुषि हत्याकांड की गुत्थी एक वर्ष बाद भी नहीं सुलझ सकी। लेकिन इसके जख्म अब भी उनके दिलों में हरे हैं, जिनसे संदेह के आधार पर पूछताछ की गई। भले ही किसी पर आरोप साबित न हो सका, लेकिन उन्हें किसी न किसी रूप में आज भी परेशानी उठानी पड़ रही है। आरुषि के माता-पिता तलवार दंपती तो इतना अधिक आहत हुए कि जिस घर में बेटी की याद बसी थी, उसे छोड़ गए।आरुषि के माता-पिता डा. राजेश तलवार और डा. नूपुर तलवार ने नोएडा स्थित एल-32 मकान को हमेशा के लिए छोड़ दिया। वह रहने के लिए दिल्ली चले गए। घर छोड़ने से पहले आरुषि की आत्मा की शांति के लिए दस दिनों पहले यहां उसकी बरसी पर पूजा अर्चना कराई। इसमें खास दोस्तों एवं परिजनों को बुलाया गया। ज्ञात हो कि बेटी के कत्ल के आरोप में जेल से रिहा होने के बाद डा. राजेश तलवार पत्नी नूपुर के साथ काफी दिनों तक एल-ब्लाक स्थित अपनी ससुराल में रहे। कुछ दिनों बाद वह दिल्ली रहने चले गए। इस बीच कभी-कभी इनका एल-32, सेक्टर 25 स्थित घर पर भी आना-जाना लगा रहता था। जिस घर में उन्होंने अपनी बेटी को खोया था, उसमें उनका कभी दिल नहीं लगा।दूसरी ओर, आज भी लोग डाक्टर तलवार के तीनों नौकरों को शक की निगाह से देखते हैं। उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई हो या सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सबूत न हो, लेकिन बहुत से लोग उन्हें ही दोषी मानते हैं। आरुषि हत्याकांड में डा. तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को शामिल मानते हुए गिरफ्तार किया, लेकिन साबित नहीं कर सकी। उसके जीजा भीम बहादुर थापा का कहना है कि कृष्णा की जिंदगी पूरी तरह से तबाह हो गई है। नौकरी की तलाश में वह आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहा है। यही हाल डा. दुर्रानी दंपती के नौकर राजकुमार का भी है। जेल से छूटने के बाद वह नेपाल लौट चुका है। उसके चचेरे भाई महेंद्र का कहना है कि नेपाल में उसने नौकरी की काफी तलाश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उधर डा. तलवार के पड़ोसी का नौकर विजय मंडल भी जेल से छूटकर झारखंड चला गया।आरुषि हत्याकांड के वक्त डा. तलवार के घर के आसपास के फ्लैट में काम करने वाले ज्यादातर नौकर व ड्राइवर सीबीआई की पूछताछ के डर से शहर छोड़कर चले गए। जो बचे हैं वो भी दहशत में हैं। कोई भी नया नौकर या ड्राइवर यहां काम करने को तैयार नहीं है। एल 28 का ड्राइवर गजराज भी सीबीआई के पूछताछ करने के बाद ही नौकरी छोड़कर गया था। एक और नौकर जयवीर का कहना है कि हत्याकांड के बाद इस जगह से अपनत्व का भाव ही खत्म हो गया है। मजबूरी में काम करने आना पड़ता है।
आरुषि हत्याकांड-एक नजर में
-16 मई : सुबह डीपीएस छात्रा आरुषि का शव एल 32, सेक्टर 25 स्थित उसके कमरे में मिला। नौकर हेमराज के गायब होने पर पुलिस ने हत्या का शक उस पर जताया
-17 मई : 24 घंटे बाद ही नौकर हेमराज का शव छत पर मिला। सेक्टर-20 थाना प्रभारी और एसपी सिटी का तबादला। एसटीएफ भी जांच में शामिल
-23 मई : आरुषि के पिता डा. राजेश तलवार को दोहरे हत्याकांड का दोषी बताते हुए नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया। मेरठ रेंज के आईजी ने कहा कि आरुषि को नौकर हेमराज के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखकर डा. तलवार ने उसकी हत्या की
-एक जून : सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। आईजी, डीआईजी व एसएसपी का तबादला
-13 जून : नार्को टेस्ट के बाद सीबीआई ने डा. तलवार के कपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया
-27 जून : डा. अनीता दुर्रानी का नौकर राजकुमार गिरफ्तार
-11 जुलाई : सीबीआई ने विजय मंडल को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। पर्याप्त सुबूत न होने के कारण डा। तलवार को पचास दिन बाद मिली जमानत-9 सितंबर : सीबीआई ने कहा कृष्णा, राजकुमार व विजय मंडल के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं। चार्जशीट दाखिल करने से इन्कार
-12 सितंबर : कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को मिली जमानत।
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