Thursday, January 1, 2009

आतंकवाद के खिलाफ केंद्र गंभीर नहीं

शिमला। आतंकवाद निरोधक कानून लाने के लिए संप्रग सरकार की सराहना करने के बावजूद भाजपा ने मंगलवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केंद्र के प्रयासों में गंभीरता का अभाव है।हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर रिज मैदान में आयोजित विजय संकल्प रैली को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पोटा खत्म करने के कई साल बाद आतंकवाद निरोधक विधेयक लाकर अच्छा काम किया है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ इसकी लड़ाई कमजोर है क्योंकि वह वोट बैंक की राजनीति जारी रखे हुए है।उन्होंने संसद हमले में दोषी ठहराए गए अफजल गुरु को फांसी देने के मामले में विलंब करने और लाखों बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार की विफलता का उल्लेख किया। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के दो मुद्दों पर स्पष्ट आदेश के बावजूद मनमोहन सरकार उन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। आप [संप्रग सरकार] वोट बैंक की राजनीति करने के साथ आतंकवाद के खिलाफ कैसे लड़ सकते हैं।आडवाणी ने कहा कि मुंबई में आतंकी हमलों के बाद संप्रग सरकार लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों को भ्रामक संकेत दे रही है। सरकार और कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग अलग-अलग स्वरों में बोल रहे हैं और कई बार विरोधाभासी बात कह रहे हैं।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि उनकी सरकार पाकिस्तान से कैसे निपट रही है। भारत के लोगों को यह जानने का अधिकार है। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि संप्रग सरकार ने पोटा जैसे कड़े कानून को खत्म करने की अपनी गलती का अहसास करते हुए आतंकवाद निरोधक कानून लाकर अपना रुख बिल्कुल बदल दिया लेकिन यह वोट बैंक की राजनीति में कब अपना रुख बदलेगी।देश की सुरक्षा के मामले में केंद्र पर नरमी बरतने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कोई महीना ऐसा नहीं गुजरता जब देश के किसी हिस्से में आतंकी हमला न होता हो। एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे की मौत के बारे में विवादास्पद बयान देने वाले केंद्रीय मंत्री एआर अंतुले का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार ने उस मंत्री को नहीं निकाला जो पाकिस्तानी जुबान में बोल रहा था।

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