Monday, March 16, 2009

फर्जी डॉक्टर ने ली मासूम की जान

चंडीगढ़ ravi एक झोला छाप डॉक्टर की दवा खाने से रामदरबार में रहने वाले अमरीक सिंह की तीन साल की मासूम बच्ची की जान चली गई। बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने जम कर हंगामा किया और झोला छाप डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है।रामदरबार के मकान (नंबर 1823) में रहने वाले अमरीक सिंह एक गैस एजेंसी पर काम करते हैं। उनकी तीन साल की बेटी नयन्सी को शनिवार की शाम को उल्टियां होने लगी। बच्ची की हालत बिगड़ती देख परिजनों ने पास में दुकान चलाने वाले एक डॉक्टर को दिखाया। अमरीक के मुताबिक डॉक्टर ने कुछ दवाओं को पीस कर उसकी पांच पुड़िया बनाई और एक-एक पुड़िया दिन में तीन बार बच्ची को खिलाने के लिए कहा। अमरीक ने बच्ची को पहली खुराक दी। लेकिन उल्टी बंद नहीं हुई। उसकी हालत बिगड़ती देख परिजनों ने समझा कि तबीयत ज्यादा खराब है और एक खुराक दवा फिर दे दी।दवा की दूसरी खुराक देते ही मासूम की हालत और नाजुक हो गई हालत में बिलकुल भी सुधार नहीं हुआ और रविवार सुबह उसकी मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद परिजन उक्त डॉक्टर की दुकान पर पहुंचे तो दुकान बंद मिली। परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की लेकिन वह दुकान पर नहीं आया। काफी देर इंतजार करने के बाद लोगों ने दुकान के सामने हंगामा करना शुरू कर दिया। कुछ लोग बच्ची के पिता अमरीक सिंह और उसके रिश्तेदारों के साथ इंड्रस्टियल एरिया पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई।

डिग्री फर्जी, रजिस्ट्रेशन भी नहीं, पर बने हैं डॉक्टर:-चंडीगढ़. डिग्री फर्जी है। रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। बावजूद इसके झोला छाप डॉक्टरों की दुकानें चल रही हैं। क्योंकि इन पर कार्रवाई से पहले कोर्ट जाना पड़ेगा। वहां सिद्ध करना पड़ेगा कि डॉक्टर साहब की डिग्री फर्जी है। इस लिए स्वास्थ्य विभाग की चेकिंग फॉर बोगस डॉक्टर्स कमेटी के सदस्य चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते और झोला छाप डॉक्टरों की दुकानों में इजाफा होता रहता है।सूत्रों के मुताबिक इस टीम के सदस्य सबसे पहले डॉक्टर की डिग्री की जांच-पड़ताल करते हैं। अगर डिग्री फर्जी होती है तो मामला कानूनी सलाह के लिए कानून विभाग के पास भेज दिया जाता है। वहां से मामले को कोर्ट में ले जाने की सलाह मिलती है। चंडीगढ़ के तमाम झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ मामला कोर्ट में है और वे प्रैक्टिस भी कर रहे हैं।उल्लेखनीय है कि शहर भर में सौ से भी ज्यादा झोलाछाप डॉक्टर हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बाकायदा उनकी सूची भी बना रखी है। लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। और ये झोला छाप डॉक्टर रोजाना मरीजों की जान से रोजाना खिलवाड़ करते हैं। उनके गलत इलाज से कई बार मरीजों की जान भी जा चुकी है। इनमें से अधिकतर डॉक्टरों के पास कोई वैधानिक डिग्री नहीं है। वे किसी फर्जी यूनिवर्सिटी अथवा कॉलेज से कुछ पैसे देकर ये कथित रूप से डिग्री हासिल कर लेते हैं। उसके बाद प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं। कई डॉक्टर तो ऐसे हैं, जिन्होंने बिहार के किसी क़ॉलेज से डिग्री खरीदी है। वहां के कॉलेज डिग्री देने के बाद उनका वहीं के पते से प्रांतीय काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करा देते हैं ।

मैजिक एंड रैमिडी एक्ट हवा में:-प्रशासन ने जादू टोने और भ्रामक प्रचार से मरीजों को अपनी ओर आकर्षित कर इलाज करने पर उनके खिलाफ मैजिक एंड रैमिडी एक्ट के दंड का प्रावधान किया है। लेकिन हैरत की बात है कि इस एक्ट के तहत अभी तक कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई, जिससे कि मरीजों की जान से हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सके।

पहले भी हुई हैं मौतें:-तीन साल की मासूम नयन्सी पहली मरीज नहीं है, जिसकी जान झोला छाप डॉक्टर के इलाज की वजह से चली गई हो। कजेहड़ी में प्रसव के दौरान एक झोला छाप डॉक्टर ने पीड़िता की जान ले ली थी। इससे पहले हल्लो माजरा के एक रिक्शा चालक के सिर में चोट लगने के बाद में उसने रामदरबार के एक झोला छाप डॉक्टर से इलाज कराया, और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

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