केंद्र सरकार ने गेहूं पर लगी स्टॉक सीमा को हटा दिया है जबकि चावल और खाद्य तेलों पर लगी स्टॉक सीमा की अवधि को इस साल 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को हुई मंत्रीमंडल की बैठक के बाद इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि अक्टूबर में इस फैसले की समीक्षा की जाएगी।
उन्होंने बताया कि सरकार के इस फैसले से बाजार में इन जिंसों की आवक बढ़ेगी, जिससे भाव में और कमी आएगी। गौरतलब है कि जमाखोरी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने डेढ़ साल पहले गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी थी। बाद में तिलहनों और खाद्य तेलों के स्टॉक की भी सीमा तय कर दी गई थी। इस साल मार्च के अंत में इसकी अवधि समाप्त होने पर केंद्र ने जहां खाद्य तेलों और चावल पर लगी स्टॉक सीमा को 30 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। वहीं गेहूं पर लगी स्टॉक सीमा को हटा दिया है। रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सचिव वीना शर्मा के मुताबिक स्टॉक लिमिट की वजह से फ्लोर मिलें किसानों से भारी मात्रा में गेहूं की खरीद नहीं कर पाती। लेकिन अब मिलों को गेहूं खरीदने में सहुलियत होगी जिससे घरलू बाजार में कीमतें भी नीचे आ सकेंगी। पिछले साल की तरह इस साल भी गेहूं का बंपर उत्पादन होने से भंडारण की समस्या आड़े सकती है। इस वजह से भी सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है। आटा चक्की वालों द्वारा ज्यादा मात्रा में गेहूं की खरीद करने से सरकार को भंडा़रण में आसानी हो सकती है।
मौजूदा समय में स्थानीय बाजारों में गेहूं का भाव करीब 1150-1160 रुपये `िं टल है। अखिल भारतीय अनाज निर्यात संघ के अध्यक्ष डी पी सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में सरकार के पास गेहूं का पर्याप्त भंडार है, लिहाजा अब बाजार में जमाखोरी के आसार नहीं हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस समय सरकार के पास करीब 2.126 करोड़ गेहूं और 1.528 करोड़ टन चावल का स्टॉक मौजूद है। पिछले साल सरकारी एजेंसिंयों ने करीब 2.26 करोड़ टन गेहूं और 2.849 करोड़ टन चावल की खरीद की थी। इस साल भी इसी मात्रा में अनाजों की खरीद होने की संभावना है। खाद्य तेलों पर लगी स्टॉक सीमा को बढ़ाने का कीमतों पर असर पड़ने के आसार नहीं हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया कि पिछले महीनों के दौरान खाद्य तेलों की कीमतों में काफी गिरावट आ चुकी, सस्ते आयात की वजह से भाव में इजाफे के आसार नहीं हैं। इसके अलावा, सीसीईए ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में चल रही योजनाओं को चालू पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी रखने की अनुमति दे दी है। साथ ही, अन्य योजनाओं को भी जारी रखने पर मोहर लगा दी है। इसके लिए फ्क्क्त्त-फ्क्ख्फ् के दौरान बागवानी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए ख्99.म्ब् करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। आईसीएआर के अंतर्गत चल रही सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पहले के अनुसार भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बंगलुरु द्वारा ही किया जाएगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment