Friday, December 19, 2008

खेती में भी ठिठुरन पैदा कर रही ठंड

कोहरा और बदली से खेती भी 'ठिठुर' रही है। तापमान में गिरावट से एक तरफ जहां पछैती गेहूं के जमाव में कठिनाई हो रही है, वहीं सरसों, तोरिया, अरहर व आलू की फसलों पर खतरनाक कीट मंडराने लगे हैं।कृषि वैज्ञानिक आशंका जता रहे हैं कि सूर्यदेव यदि चार-छह दिन इसी तरह बादलों में छिपे रहे तो रबी की फसलों के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।नरेन्द्रदेव कृषि विवि, फैजाबाद के कृषि मौसम विज्ञान विभागाध्यक्ष डा.पद्माकर त्रिपाठी का कहना है कि जिन फसलों में फूल निकल रहे हैं, उनके लिए यह मौसम खतरनाक है। इस दृष्टि से सरसों, तोरिया व अरहर खास तौर पर मौजूदा मौसम के निशाने पर हैं।डा. त्रिपाठी ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से धूप नहीं निकल रही, और आ‌र्द्रता 96-98 फीसदी है। यह परिस्थिति सरसों व तोरिया में माहू व आरा मक्खी तथा अरहर में लीफ वेबर व फलबेधक कीटों के लिए बेहद मुफीद है। वैसे भी जब कोहरा व बदली रहती है, फसल में फूलों की तादात व वृद्धि घट जाती है। डा. त्रिपाठी आगाह करते हैं कि मौजूदा परिस्थिति यदि अगले कई दिन इसी तरह जारी रहती है, और धूप नहीं निकलती है तो किसानों को अपने अनुभव व स्थानीय कृषि अधिकारियों की सलाह से बचाव के कदम उठाने चाहिए।जहां तक गेहूं का सवाल है, ठंड बढ़ने से फसल पर तो कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन जिन पछैती प्रजातियों की बोवाई 15 दिसंबर से शुरू हुई, उनके जमाव में निश्चित रूप में ज्यादा वक्त लगेगा। डा. त्रिपाठी ने बताया कि शुक्रवार को दिन का तापमान 16.5 डिग्री सेन्टीग्रेड रहा, जो सामान्य से 6.5 डिग्री कम है, जबकि रात का तापमान 9-10 डिग्री है, जो सामान्य से थोड़ा ज्यादा है। डा. त्रिपाठी के मुताबिक, तापमान की यह विचित्रता किसी भी तरह फसल के लिए लाभदायी नहीं है।उन्होंने बताया कि आलू किसानों को इस मौसम में झुलसा रोग को लेकर सचेत रहना चाहिए, क्योंकि इस रोग के लिए मौजूदा मौसम पूरी तरह मुफीद है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के ऊपर एक सिस्टम विकसित हो रहा है, जिसकी वजह से दो-तीन दिन में प्रदेश में हल्की-फुल्की बारिश हो सकती है।

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