Saturday, October 18, 2008

पांच जवान बच्चे, फिर भी जिंदगी लावारिस

जब मां-बाप बच्चों का पालन पोषण करते हैं तो उनके मन में यही बात रहती है कि बड़े होकर यही बच्चे उनका नाम रोशन करेंगे और बुढ़ापे का सहारा बनेंगे। लेकिन आज नई पीढ़ी में मां-बाप के प्रति संवेदना समाप्त होती जा रही है। कभी-कभी तो वे बुजुर्ग माता-पिता से पल्ला झाड़ने के लिए उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर देते हैं। ऐसी ही कहानी है 76 वर्षीय हंसराज मलिक की।दक्षिणी दिल्ली के आश्रम इलाके के हरीनगर निवासी हंसराज मलिक की पत्नी सालों पहले चल बसीं। उन्हें भरोसा था कि पांच बच्चे हैं, उनके सहारे बुढ़ापा आराम से कट जाएगा। मगर, तीन जवान बेटों व दो बेटियों के रहते वे चार दिनों से गली के फुटपाथ पर पड़े हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। गली में पड़े अपनों का इंतजार कर रहे हंसराज मलिक की यह दशा देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि वे कभी शहर के ठीकठाक कपड़ा व्यापारी हुआ करते थे।कम उम्र में पत्नी की मौत के बाद भी उन्होंने अपने तीनों बेटों आलोक, अजय, संजय व बेटी नीना व सोनिया के परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। आलोक व अजय आज फाइनेंस के धंधे में हैं। आलोक फरीदाबाद में अपने परिवार के साथ तो अजय रोहिणी में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। तीसरा बेटा संजय बनारस में नौकरी कर रहा है। वह वहीं बस गया है। दो बेटियों में बड़ी नीना भी शादी के बाद गाजियाबाद में अपने पति के साथ रह रही है। हंसराज मलिक कुछ दिनों से अपनी सबसे छोटी बेटी सोनिया के साथ हरीनगर में रह रहे थे। चार दिन पहले पिता से पिंड छुड़ाने के लिए सोनिया भी अपने फ्लैट में ताला लगाकर कहीं चली गई और हंसराज मलिक पांच जवान बच्चों के रहते फुटपाथ पर आ गए। चार दिनों से हरीनगर की गली में फटे पुराने कपड़ों के बीच रह रहे मलिक अपने बच्चों को दोष देने के बजाय कहते हैं कि शायद उनकी परवरिश में ही कोई कमी रह गई थी। वे अपनी किस्मत को भी कोस रहे हैं। आस-पड़ोस के लोग हंसराज की हालत पर तरस खाते हुए उन्हें कुछ न कुछ खाने को दे देते हैं।कुछ लोगों ने उनके बेटों से टेलीफोन पर संपर्क किया तो पहले नाम पता पूछा। जैसे ही उन्हें बताया गया कि उनके पिता सड़क पर लावारिस हालत में पड़े हैं तो रांग नंबर कहकर फोन काट दिया। पड़ोसी ओम प्रकाश सिंघल ने बताया कि हंसराज मलिक 13 अक्टूबर से गलियों में पड़े हैं। वह बीमारी के चलते चलने-फिरने में भी सक्षम नहीं हैं। बृहस्पतिवार सुबह मोहल्ले के लोगों ने सौ नंबर पर फोन कर पुलिस को बुजुर्ग की हालत के बारे में बताया तो कुछ देर बाद दो पुलिस वाले आए। लेकिन उन्हें भी बुजुर्ग की हालत पर तरस नहीं आया। वह थोड़ी देर में आने की बात कह चलते बने। किसी ने टेलीफोन से जब इसकी सूचना सीनियर सिटीजन सेल को दी तो वहां से भी निराशा हाथ लगी।इस संबंध में जब news ripoter ने सीनियर सिटीजन सेल से बात की तो कहा गया, जब बुजुर्गो की सहायता के लिए टोल फ्री नंबर 1291 पर सूचना मिलती है तो उसका काम बस इतना है कि सूचना पुलिस को दे दे। जिससे पुलिस को आगे की कार्रवाई करने में आसानी हो।

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