Friday, November 21, 2008

इतिहास बनी सितार की झंकार

बांसुरी की मधुर धुन, तबले की तान व सितार की भाव-विभोर करने वाली झंकार से माहौल संगीतमय हो गया। एक ही मंच पर बारह सौ सितार जब एक साथ बजे, तो लगा मानो किसी दूसरे ही लोक में पहुंच गए हैं। लोग राग-गारा, राग बागेश्वरी और राग हंस ध्वनि की लय व ताल पर झूम रहे थे। मौका था सेक्टर-32 में आर्ट आफ लिविंग द्वारा आयोजित ब्रह्मानाद का।शुक्रवार की शाम पौने सात बजे शुरू हुआ ब्रह्मानाद नाम से यह अनोखा संगीत कार्यक्रम गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज होगा।प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने लोगों को योग का संदेश दिया। उनके नाद ब्रह्मा, निनाद ब्रह्मा, शब्द ब्रह्मा, नि:शब्द ब्रह्मा उच्चारण करते ही हजारों की संख्या में उपस्थित उनके साधक अभिभूत हो उठे। उन्होंने कहा कि असंभव को संभव करना ही योग की शक्ति है। जिस तरह मछली जल में विचरण करती है, योग में ध्यान करते समय मनुष्य भी उसी तरह हवा में विचरण करता है। ब्रह्मानाद को आयोजित करने का उद्देश्य लुप्त होते भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाना व संगीत के माध्यम से विश्व में शांति व सद्भाव का संदेश फैलाना है। इससे एकत्रित होने वाली राशि को बिहार बाढ़ पीड़ितों की राहत व पुर्नवास कार्य के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि अहिंसा योग का पहला नियम है। तनाव मुक्त होने के लिए संगीत का सहारा जरूरी है। ब्रह्मानाद के दौरान राजस्थान से आए स्वामी स्वतंत्र आनंद ने श्रीश्री रविशंकर की स्मृति पत्रिका का विमोचन भी किया। यूरोपियन सांसद एरिक मार्ट ने इस मौके पर निर्वाण व ब्लिस दो सीडी रिलीज की। ब्रह्मानाद में पांच हजार युवकों ने देश को तंबाकू मुक्त करने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम में कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

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