Monday, November 3, 2008

उत्तर प्रदेश में उर्वरक की कमी के लिए रामविलास पासवान जिम्मेदारः बसपा

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा सहकारिता मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रदेश में रासायनिक खाद की कमी के बारे में मीडिया में दिये जा रहे कांग्रेस पार्टी तथा समाजवादी पार्टी के नेताओं के बयानों के लिए दोनों दलों के नेताओं को आड़े हाथों लिया है और प्रदेश में उर्वरक की कमी के लिए केन्द्र सरकार तथा उसके उर्वरक मंत्री श्री राम विलास पासवान को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने इस मामले में सपा के रवैये को शर्मनाक बताया है।

श्री मौर्य ने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष रबी के लिए केन्द्र से 14 लाख मीट्रिक टन डीपी की मांग की गयी थी, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रति अपनी पुरानी भेदभाव की नीति अपनाते हुए केवल 10.50 लाख मी0 टन खाद देने का आश्वासन दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस आश्वासन के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश हेतु अक्टूबर माह के लिए आवंटित कोटा भी अभी तक पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर माह में शेष रह गयी 40 हजार मी0 टन खाद अभी तक उपलब्ध न कराये जाने के फलस्वरूप प्रदेश के किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कांग्रेस पार्टी और केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार को समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर मीडिया में दिये जा रहे बयानों से यह सिध्द होता है कि ये दोनों पार्टियां प्रदेश की जनता व किसानों के बीच भ्रम पैदा करके अपनी कमी का ठीकरा प्रदेश सरकार के सिर पर फोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में चल रही केन्द्र की यूपीए की सरकार तथा उसे समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी, दोनों ही किसानों की कितनी हितैषी हैं, इसे पूरे देश का किसान अच्छी तरह जान और पहचान चुका है, इसलिए इन पार्टियों के नेताओं द्वारा दिये जा रहे उल्टे-सीधे बयानों का उस पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही पूरे देश में किसान बड़े पैमाने पर आत्महत्याएं करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जिसकी शुरूआत कांग्रेस शासित अथवा कांग्रेस पार्टी द्वारा समर्थित राज्य सरकारों के कार्यकाल में ही हुई थी और आज भी इन्हीं राज्यों में आत्महत्याएं करने वाले किसानों की तादाद सबसे ज्यादा है, जिससे पूरी तरह साफ है कि किसानों के प्रति कांग्रेस पार्टी की संवेदनशीलता महज ड्रामेबाजी है और कांग्रेस को किसानों के हित से कोई लेना-देना नहीं है।

सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस वर्ष मानसून की अच्छी वर्षा के कारण प्रदेश के रबी के बुआई क्षेत्र में वृध्दि हुई है, जिसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने केन्द्र से अधिक उर्वरक उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, किन्तु केन्द्र सरकार ने इस अत्यंत संवेदनशील मुद्दे पर भी पूर्व की भांति उत्तर प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार करना जारी रखा और इस बात की कोई परवाह नहीं की कि उसकी इस नीति से प्रदेश के किसानों को कितना नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस समय रबी की बुआई का सीजन चरम पर है और ऐसे में किसानों को पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं कराई गयी, तो जाहिर है कि खाद्यान्न उत्पादन पर इसका काफी बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसान इसे अच्छी तरह समझ चुका है कि कांग्रेस तथा उसे समर्थन देने वाली पार्टियां उसकी बिल्कुल भी हितैषी नहीं हैं और इन पार्टियों के नेता ठोस मुद्दों के अभाव में अपनी बेरोजगारी का दर्द छुपाने के लिए किसी भी मुद्दे पर ओछी बयानबाजी करके प्रदेश की बसपा सरकार की छवि धूमिल करने के कुत्सित प्रयास में लगे रहते हैं।

श्री मौर्य ने कहा कि अपने को प्रदेश के किसानों की सबसे बड़ी चैम्पियन घोषित करने वाली समाजवादी पार्टी का रवैया तो इस मामले में और भी ज्यादा शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि अगर सपा प्रदेश के किसानों की जरा भी शुभचिंतक होती, तो किसानों के लिए उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए उसने केन्द्र की यूपीए सरकार पर दबाव बनाया होता, जबकि इसकी बजाय सपा के नेता जुबानी जमाखर्च से ही काम चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे प्रदेश के किसान यह जान चुके हैं कि सपा नेताओं ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र की यूपीए सरकार पर इस मुद्दे को लेकर कोई दबाव बनाने का प्रयास नहीं किया है। उन्होंने आगे कहा कि इसके स्थान पर किसानों के हित का दम भरने वाली समाजवादी पार्टी, केन्द्र की किसान विरोधी सरकार को समर्थन देकर उसे जिन्दा रखे हुए है। उन्होंने सपा और उसके नेताओं को यह सलाह भी दी कि उन्हें अगर प्रदेश के किसान की वास्तव में चिन्ता है, तो किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र की यूपीए सरकार से तत्काल अपना समर्थन वापस लें और भ्रम पैदा करने वाली झूठी बयानबाजी करने के स्थान पर किसान विरोधी नीतियों में परिवर्तन हेतु केन्द्र की सरकार पर दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री सुश्री मायावती के नेतृत्व वाली प्रदेश की वर्तमान बसपा सरकार के साथ सहयोग करें, ताकि किसानों के बीच सपा का पूरी तरह खो चुका जनाधार उसे कुछ हद तक फिर से हासिल हो सके।

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