कुछ दिन पहले हुई प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में इसे हरी झंडी दी गई थी। कमर्शियल गतिविधियां बढ़ाने के साथ अधिक आमदनी के उद्देश्य से कमर्शियल प्रयोग की कुल चार प्रतिशत भूमि को बढ़ाकर पांच प्रतिशत किया जाना था। बोर्ड बैठक से हरी झंडी मिलने के बाद प्राधिकरण अधिकारियों ने इस दिशा में कार्य शुरू किया था। पांच सौ एकड़ भूमि का भू-उपयोग परिवर्तित करने के लिए मास्टर प्लान में भी संशोधन किया जाना था। चूंकि सबसे महंगी जमीन के रूप में कमर्शियल भूमि को बेचा जाता है। ऐसे में पांच सौ एकड़ जमीन बढ़ने के बाद प्राधिकरण को इससे खासी आमदनी भी होगी। वहीं प्राधिकरण को किसी अन्य प्रकार की भूमि को कमर्शियल के लिए देना होगा। प्राधिकरण किसी भी स्थिति में ग्रीन एरिया को कम नहीं कर सकता। वहीं नोएडा की स्थापना औद्योगिक नगरी के रूप में की गई थी, ऐसे में प्राधिकरण औद्योगिक प्रयोग के लिए चिंहित की गई भूमि का भू-उपयोग नहीं करेगा। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए रिहायशी क्षेत्र को बसाना भी आवश्यक है। ऐसे में प्राधिकरण के पास संस्थागत क्षेत्र को कम करने का विकल्प बचा हुआ था। हालांकि सभी प्रकार की जमीन के भू-उपयोग को थोड़ा परिवर्तित करके पांच सौ एकड़ भूमि कमर्शियल क्षेत्र के रूप में बढ़ाई गई है। कमर्शियल एरिया में व्यवसायिक गतिविधियों के साथ मॉल, शापिंग कांप्लेक्स, शोरूम, दुकानें व अन्य गतिविधियों को करने की अनुमति होगी।
Sunday, November 23, 2008
पांच सौ एकड़ जमीन का भू उपयोग बदला
शहर में कमर्शियल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्राधिकरण ने पांच सौ एकड़ भूमि का भू-उपयोग परिवर्तित किया है। इसके लिए मास्टर-प्लान में भी संशोधन किया गया है। अब प्राधिकरण के पास उपलब्ध कमर्शियल भूमि नोएडा की कुल भूमि की चार प्रतिशत से बढ़कर पांच प्रतिशत हो गई है। एक प्रतिशत के रूप में बढ़ी पांच सौ एकड़ भूमि अलग-अलग सेक्टरों में ली गई है।
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