Saturday, November 1, 2008

बैंकों के लिए और कैश का इंतजाम

आरबीआई ने एक बार फिर सीआरआर को 1 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत करने का एलान किया गया है। रिजर्व बैंक की इस कटौती से बैंकों को 40 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। नई दर दो चरणों में लागू होगी। 0.5 प्रतिशत की कटौती 25 अक्टूबर,08 से और 0.5 प्रतिशत कटौती 8 नवंबर से प्रभावी होगी। इसके अलावा रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गई है। अब नई रेपो दर 7.5 प्रतिशत हो गई है। नई रेपो दर सोमवार यानी 3 नवंबर, 08 से लागू होगी। आरबीआई ने एसएलआर को भी 1 प्रतिशत से कम कर 24 प्रतिशत तक लाने का एलान किया है। SLR की नई दर भी 8 नवंबर, 08 से लागू होगी।
पिछले कुछ दिनों में आरबीआई ने तीसरी बार अपनी महत्वपूर्ण दरों में बदलाव किया है। सीआरआर में हाल में 3.5 फीसदी तक की कटौती की जा चुकी है। वैश्विक वित्तीय संकट को देखते हुए बाजार में नकदी का बेहतर नियंत्रण करना और विकास दर को काबू में करना सरकार के लिए बहुत जरूरी हो गया है। इसलिए आरबीआई ने अपनी प्रमुख दरों में एक बार और बदलाव करने का फैसला किया।
इस वित्तीय वर्ष में विकास दर 8 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है। यह भी आरबीआई के लिए एक चिंता का विषय है क्योंकि वैश्विक उत्पादन में गिरावट को देखते हुए निर्यात में कमी हो रही है। औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर भी कम होकर 1.3 प्रतिशत पर आ गई है।
रेपो दर : बैंकों को अपने दैनिक कामकाज के लिए प्राय: ऐसी बड़ी रकम की जरूरत होती है जिनकी मियाद एक दिन से ज्यादा नहीं होती। इसके लिए बैंक जो विकल्प अपनाते हैं, उनमें सबसे सामान्य है केंद्रीय बैंक (भारत में रिजर्व बैंक) से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेना। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो दर कहते हैं।
रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा और इसलिए बैंक ब्याज दरों में कमी करेंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके। रेपो दर में बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना महॅँगा हो जाएगा। साफ है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करते हैं, वह भी उन्हें बढ़ाना होगा।
सीआरआर : सभी बैंकों के लिए जरूरी होता है कि वह अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखें। इसे नकद आरक्षी अनुपात कहते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि अगर किसी भी मौके पर एक साथ बहुत बड़ी संख्या में जमाकर्ता अपना पैसा निकालने आ जाएँ तो बैंक डिफॉल्ट न कर सके।

आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बिना जब बाजार से तरलता कम करना चाहता है, तो वह सीआरआर बढ़ा देता है। मंगलवार को मौद्रिक नीति की सालाना समीक्षा के बाद सीआरआर 5.5 फीसदी हो गया है, यानी बैंकों को अब अपने 100 रुपए के कैश रिजर्व पर 5.5 रुपए का रिजर्व रखना होगा। इससे बैंकों के पास बाजार में कर्ज देने के लिए ज्यादा रकम बचेगी।
एसएलआर : कैश रिजर्व रेशियो के अलावा बैंकों को अपनी जमा राशि का एक निश्चित भाग सरकारी प्रतिभूतियों में भी जमा करना पड़ता है। यह राशि उनकी वैधानिक तरलता रेशियो (एसएलआर) कहलाती है। एसएलआर का प्रमुख उद्देश्य अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक धन को बाजार में लाने से बैंकों को रोकना है।

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