लखनऊ,जिले के 17 सौ से अधिक परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग एक लाख छात्र बिना पढ़े ही बुधवार से होने वाली सत्र परीक्षा में शामिल होंगे। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि शिक्षा विभाग के अधिकारी अभी तक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को पूरी किताबें नहीं मुहैया करा पाए हैं। इस वजह से बच्चे परीक्षा को लेकर खासे परेशान हैं।बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में हर साल सत्र परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। यह परीक्षाएं कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए साल में तीन बार कराई जाती हैं। पूरी परीक्षा का कार्यक्रम जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें कक्षा एक, दो के बच्चों को मौखिक तथा तीन से आठ तक के छात्रों को लिखित परीक्षा देनी होती है। इसका उददेश्य कक्षा में कमजोर बच्चों को चिन्हित कर उन्हें ए, बी, सी व डी श्रेणी में बांटा दिया जाता है। फिर कमजोर बच्चों की पढ़ाई की अलग से व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस बार सभी बच्चों को बिना पढ़े ही सत्र परीक्षाएं देनी होगी। इसका कारण यह है कि जिले के सत्रह सौ अधिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तीन-चार किताबों के सिवाय अन्य किताबें नहीं पहुंच सकी हैं। कक्षा एक व दो के बच्चों को तो एक भी किताब नहीं मिली। इससे छात्रों के आगे बिना पढ़े परीक्षा देने की नौबत आ गई है। बच्चे इससे परेशान हैं। वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार श्रीवास्तव भी मानते हैं कि सत्र परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बिना पढ़ाई के परीक्षा देना एक समस्या है। उनका कहना है कि त्रुटिपूर्ण किताबों को सही कराने का काम तेजी से चल रहा है। शीघ्र ही बच्चों को किताबें मिल जाएंगी।
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