Wednesday, September 24, 2008

एमएलए की रंगरलियां!

कांग्रेसी विधायक सुनीता देवी और उनके बाडीगार्ड बाल योगेश्वर शर्मा उर्फ लाली के बीच रूलाई, प्यार, तकरार, धमकी, शर्म, भरोसा, इल्जाम, गुरूर.. यानी सब कुछ है? दोनों की करीब डेढ़ घंटे की बातचीत, उनकी दोस्ती और दुश्मनी की चरम की गवाह है। हालांकि सुनीता देवी की माने तो उन्होंने लाली से कभी फोन पर लंबी और ऐसी बातें नहीं कीं। उन्होंने इसे संचार तकनीक का कमाल कहा, जिसका इस्तेमाल उनको बदनाम करने में हो रहा है। लेकिन पुलिस दोनों के बीच फोन पर हुए संवाद पर गंभीर है। यह बातचीत एक टीवी चैनल ने टेप की है।सुनीता देवी के इस दावे को मान भी लिया जाए, तो भी यह सवाल तो उभरता ही है कि लाली को फोन पर धमकाने वाली औरत कौन है, जो स्वयं को विधायक कहती है; बातचीत में हर दो-चार लाइन के बाद अपने रसूख का हवाला देती है, किंतु लाली का दावा है कि फोन सुनीता देवी का ही था। वह अपने मोबाइल पर उनके नंबर भी दिखाता है।खैर, विधायक-बाडीगार्ड के इस कथित संवाद में 'सुशासन' भी कई मौकों पर आया है। खासकर तब, जब लाली ने उधर से मिली लगातार धमकियों से खुद को डरा हुआ दिखाया और कहा कि सुशासन में ऐसा संभव नहीं है; सबको न्याय मिलता है, सुशासन के कानून के राज में सिपाही व विधायक सब बराबर है। 'औरत' की आवाज मोबाइल पर गूंजती है-'सुशासन में मेरी ताकत देखे हो न! एक मंत्री को गाड़ी से खींच कर मारे थे। क्या हुआ। और तू रे कुत्ता-झूठा, तू तो मामूली सिपाही है। तुम्हारे बर्बादी का समय नजदीक आ गया गया है। तुमको उड़ाने के लिए मैं जिंदगी भर की कमाई लगा दूंगी। तू नहीं बचेगा। तेरी बलि वैष्णव माता के दरबार में चढ़ाऊंगी। तेरी पत्‍‌नी को विधवा बना दूंगी। तू मेरा औकात देखा है न रे!'बातचीत के एक-एक शब्द एक एमएलए की गर्वोक्ति के थे। लाली के कमोवेश सभी आरोप पुष्ट होते गए। बातचीत 'इंडिया टीवी' ने टेप की है। लाली ने सिर्फ एक बार फोन किया और फिर मैडम के ताबड़तोड़ फोन आने लगे। और अब जरा प्यार-तकरार में रूलाई की कुछ बातें। लाली-'हैलो-हैलो मैडम!' मैडम-'जो हो गया सो हो गया। भूल जाओ। तुमको कितना प्यार करते थे रे! [रूलाई। देर तक भर्रायी आवाज]। सुनो यार ..! पूजा [लाली की पत्‍‌नी] ने मुझको फोन क्यों किया? क्यों मुझे .. कहा? मैं उसको ..!' लाली-'आपने मेरा यौन शोषण क्यों किया?' मैडम-'देखो, मैं बहुत जिद्दी हूं। .. तुमको कितना रूतबा दिया रे! तुमको बहुत चाहते हैं।'बातचीत में लाली एक लाइन बोलता है और मैडम शुरू हो जातीं हैं। मैडम लाली से पूछ रहीं हैं-'पटना कब आयोगे?' लाली-'नहीं आऊंगा। आरा में ही खेती करूंगा।' मैडम-'आ मेरी नौकरी कौन करेगा, मैं मंत्री बनूंगी और तुमको अपना संतरी बनाऊंगी। कब तक भागोगे। मैं भी आरा आ जाती हूं। साथ में खेती करेंगे।' फिर अचानक भड़क जातीं हैं-'मैं तुमको मरवा दूंगी। पीस-पीस में कटवा कर बोरे में बंद कराकर गंगा जी में फिकवा दूंगी। .. रे गुंडा, रे-रे, मैं तुम्हारी दुनिया उजाड़ दूंगी। मर्डर होगा, मर्डर। हा-हा-हा-हा [अट्ठाहास]। .. तुमने मेरा शोषण नहीं किया। क्यों किया! कहता था आपकी सेवा करूंगा। आपके बिना नहीं रहूंगा। दवा खाकर मर जाऊंगा। अब का हुआ रे मक्कार! तुम्हारे जैसा नालायक और घटिया आदमी मैंने जिंदगी भर नहीं देखा है।' लाली की सफाई-'मैंने कुछ नहीं किया। भला एक सिपाही की विधायक के सामने क्या औकात है?' मैडम-'चोप्प। छह महीने की मोहलत देती हूं। अपहरण करा लूंगी। टुकड़ों में काटकर फिंकवा दूंगी। सिपाही हो, सिपाही रहो।'फिर मैडम की पुचकार-'मैं कोर्ट में जाकर तुमको अपना पति बता दूंगी। कानून महिलाओं को सर्वोपरि मानता है। मेरे पक्ष में फैसला होगा। तुम्हारी बात पर कोई नहीं मानेगा रे। .. विधायक स्वतंत्र होता है। आरा क्या कहीं भी जा सकता है। .. मेरी हवस नहीं तुम्हारी चाल है। कितनी श्रद्धा थी तुममें। लेकिन अब, जब मैं डूबूंगी सनम तो तुमको कैसे छोड़ूंगी।' बातचीत बड़ी लंबी है मगर तर्ज कमावेश यही है। शाब्दिक मर्यादा के चलते बहुत सारी बातें लिखने लायक नहीं है।

सोलह साल बनाम चार महीने और राजा जी..-यह कोई चुनावी नारा नहीं है। कांग्रेस विधायक सुनीता देवी द्वारा लाली [बाडीगार्ड] को लिखे कथित प्रेम पत्रों में ऐसे शब्दों की भरमार है। बाडीगार्ड द्वारा पुलिस को सौंपे पत्रों में एक जगह लिखा है-'मैं तो शादीशुदा हूं लेकिन जो सोलह साल में मुझे प्राप्त न हुआ वह मुझे चार महीने में आपसे प्राप्त हो गया।' पत्र में 'राजा जी', लाली है।अगर ये चिट्ठिया सही हैं, वाकई इन्हें सुनीता देवी ने ही लिखा है तो ये लाली द्वारा लगाए गए आरोपों को कई अर्थो में पुष्ट करती हैं। एक मायने में ये कमोवेश सब कुछ बयां कर देती हैं लेकिन सुनीता देवी ने स्पष्ट किया कि ये गंदी चिट्ठियां उन्होंने नहीं लिखीं हैं। उन्होंने इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया। बोलीं-'लाली मेरे विरोधियों के बहकावे पर चिट्ठियों को लेकर दुष्प्रचार कर रहा है।' बेशक, ऐसे में पूरा मामला लिखावट की जांच करने वाले विशेषज्ञ के पास जाने की दरकार बना रहा है। पुलिस इस लाइन पर सोच रही है।फिलहाल लाली की तरफ से दो पत्र सार्वजनिक किए गए हैं। दोनों सुनीता देवी के लेटर पैड पर हैं। हालांकि उनके अनुसार इसका इस्तेमाल तो कोई भी कर सकता है; पैड छपवाया भी जा सकता है। खैर, दोनों पत्रों की शुरूआत 'मेरे पति जी' और 'मेरे राजा जी' से हुई है। एक में लिखा है-'मैं कुशल हूं, कुशल चाहती हूं, दिल बेचैन है मिलन चाहती हूं। .. विशेष क्या लिखूं राजा जी, मैं आपको दिल दे बैठी हूं। .. मेरी जिंदगी आपकी है, ये श्रृंगार आपका है, ये सिंदूर भी आपका है। मेरे तन-मन और मेरी आत्मा पर आपका अधिकार है। किसी और को देखने का मन नहीं करता, आपके सिवाय। ..भगवान से यही प्रार्थना है कि मेरी मौत भी आपके गोद में हो।.. आपने मुझे इतना प्यार दिया है कि मैं हर जन्म में पति के रूप में आपको पाऊं। ..आंधी आये या तूफान मैं हमेशा आपके साथ रहूंगी। जैसे पेड़ से छांव अलग नहीं हो सकता, उसी तरह मैं आपसे अलग नहीं हो सकती।' अंत में आपकी पत्‍‌नी और विधायक का नाम लिखा है।एक अन्य पत्र में भी दर्ज है-'.. आपके बिना नहीं रह सकूंगी। ..आत्मा के बिना शरीर किस काम का? बिना पति का श्रृंगार किस काम का? मेरे जिंदगी में आपके सिवा कोई स्थान नहीं ले सकता। जीवन में इंसान को एक ही व्यक्ति से प्यार होता है। वह प्यार मैंने आपसे किया। प्यार एक मंदिर होता है। मंदिर से भगवान को नहीं निकाला जा सकता। ..आप मेरे भगवान हैं और मैं आपकी पुजारी। आप मेरे हमेशा राजा जी रहेंगे।'

दूध से धुले नहीं है राजनेता:>-कांग्रेसी विधायक सुनीता देवी पर लगे अंगरक्षक के यौन शोषण के आरोप ने राजनेताओं के 'रासरंग' की चटकारे वाली चर्चा शुरू करा दी है। इस बहाने नेताओं के 'पति, पत्नी और वो', 'महिला मित्र' या फिर कुर्सी से जुड़ी रंगरेलियों पर नए सिरे से बहस हो रही है। ऐसे कई गंभीर सवाल अवाम की जुबान पर हैं कि 'आखिर राजनेता किस हैसियत से समाज का पथ प्रदर्शक होने का दावा करते है; इन रवैयों से समाज को कौन-सी दिशा मिलती है?'दरअसल सुनीता देवी प्रकरण पहला और आखिरी नहीं है। लंबी दास्तान। कई ने पारिवारिक विवशता के चलते संबंध बनाए यानी बाकायदा दूसरी शादी की। लेकिन सर्वाधिक मामलों में पहली पत्नियों ने 'स्मार्ट सौत' की मौजूदगी में स्वयं को जबरिया 'एडजस्ट' कर रखा है। चर्चा इस बात की हो रही है कि कैसे मुख्य धारा के लगभग पचपन राजनीतिज्ञ [विशेषकर विधायक] दो या इससे अधिक पत्नियों के पति है। पत्नियां प्रताड़ित है किंतु लोक-लाज या भय से मुंह नहीं खोलतीं। सर्वाधिक वही राजनेता भटके, जो गंवई माहौल से निकल अचानक चकाचौंध की हैसियत में पहुंचे। सत्ता के दलाल या सरकार गिराओ- बचाओ के नियामक इस भटकाव को और बढ़ाते है।मगर दुर्भाग्य से ऐसे मामले यहां मजाक के विषय भर है। अखंड बिहार की आखिरी विधानसभा में तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री बागुन सुम्ब्रई ने जब विदाई में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से छठी पत्नी मांगी, तो सदन में जोरदार ठहाका गूंजा। कुछ और उदाहरण-लघु सिंचाई मंत्री रहे मंगनी लाल मंडल की दूसरी शादी पर विधानसभा में भी हंगामा हुआ। अलकतरा घोटाला के आरोप में पथ निर्माण मंत्री मो. इलियास हुसैन जब जेल गए तो उनके समर्थकों ने उनकी पत्नी को मंत्री बनाने की मांग उठाई किंतु मामला इस सवाल पर फंसा कि आखिर उनकी तीन पत्‍ि‌नयों में कौन मंत्री बनेंगी? केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पुरानी शिकायत रही है कि किसी को दूसरे की निजी जिंदगी में झांकने का अधिकार नहीं होना चाहिए। असल में उनके राजनीतिक विरोधियों को जब भी मौका मिला, उनकी गांव वाली दूसरी पत्नी का मुद्दा उठा दिया। विधायक केडी सिंह यादव की दूसरी शादी पर बवाल हुआ। एक कांग्रेसी सांसद ने पत्नी के रहते नाबालिग लड़की से शादी की। कांग्रेस के एक विधायक की पत्नी दूसरी महिला कांग्रेसी विधायक से नाजायज संबंधों के हवाले सड़क पर भिड़ गई। दो कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों का महिला प्रेम जगजाहिर रहा है। कर्पूरी ठाकुर भी ऐसी बदनामी से तभी मुक्त हुए, जब कोर्ट ने हस्तक्षेप किया। दुष्कर्म के दौरान एक लड़की ने राजद विधायक योगेंद्र सरदार का लिंग काट लिया। ख्यात राजनीतिज्ञ धनिक लाल मंडल ने भी दूसरी पत्‍‌नी [कुसुम चौधरी] से तलाक को ले बुढ़ौती में बदनामियां झेलीं।राजनीतिक पार्टियों की रैलियों में अपसंस्कृति की पराकाष्ठा, कमोवेश इसी कुंठा का पर्याय है। लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री आवास में कई बार लौंडा व हिजड़ा नाच हुआ। यह आम राय है कि इसका सीधा असर महिलाओं या लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराध के रूप में परिलक्षित होता है।ऐसे में नौकरशाहों का कहना ही क्या? तीस के करीब आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के संबंध दूसरी महिलाओं से रहे है। चाहे आईपीएस अमिताभ दास का मसला हो या प्रसिद्ध गायक उदित नारायण का- घरेलू विवाद सुलझाने में राज्य महिला आयोग परेशान है।नेता-नौकरशाहों के बहके मिजाज से पनपे सेक्स स्कैंडलों की भी कमी नहीं है। बाबी हत्याकांड, शिल्पी-गौतम कांड, चंपा विश्वास बलात्कार कांड, पापरी बोस अपहरण कांड, सुभाष-सुशान हत्याकांड, दीपा मुर्मू कांड .., लंबी फेहरिस्त है। लेकिन शायद ही किसी मामले में असरदार कार्रवाई हुई।उल्लेखनीय है कि कोढ़ा विधायक सुनीता देवी पर उनके ही बाडीगार्ड बाल योगेश्वर शर्मा उर्फ लाली ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। जिसके बाद सुनीता देवी ने प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया। वहीं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर गठित एक दो सदस्यीय टीम ने सोमवार को सुनीता देवी से पूछताछ की। सुनीता देवी ने इस पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए अपने को निर्दोष बताया है। उसका कहना है कि वह और लाली के बीच भाई-बहन का रिश्ता है। लाली ने इसी रिश्ते को बेजा इस्तेमाल किया और अब वह उसे ब्लैकमेल कर रहा है। उधर, लाली को इस प्रकरण को मीडिया के समक्ष उजागर करने की सजा निलंबन के रूप में मिली है। इसके साथ ही लाली के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही भी चलाने का निर्देश दिया गया है। ankur vats

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