डालर के मुकाबले लगातार कमजोर होते रुपये से भले ही निर्यातकों की बल्ले-बल्ले हो रही हो,लेकिन इसके चलते देश में महंगाई के और भड़कने का खतरा पैदा हो गया है।बुधवार को रुपया 21 माह में पहली बार डालर की तुलना में 45 रुपये के स्तर को पार कर गया। इसके विपरीत फरवरी 08 में रुपया मजबूत होकर 39 रुपये प्रति डालर के स्तर पर था।विशेषज्ञों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों के दाम पहले से ही काफी ऊपर चल रहे हैं। कमजोर रुपये से कच्चा तेल समेत सभी विदेशी उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा। इससे घरेलू बाजार में आयातित चीजों के दाम बढ़ जाएंगे और देश में पहले से ही 12 फीसदी के ऊपर चल रही महंगाई की आग फिर भड़क उठेगी। खासकर कच्चे तेल के मामले में आ रही नरमी का असर आयात महंगे होने से जाता रहेगा। देश में तेल की खपत का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा आयात के जरिए ही पूरा किया जाता है। तेल के एक सौदे ज्यादातर डालर में ही होते हैं। इसलिए रुपये में तेल आयात महंगा पड़ेगा। यह महंगाई की आशंका को और बढ़ा देगा।रुपया डालर के मुकाबले जून 08 से लगातार कमजोर हो रहा है। अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में नवंबर 2006 के बाद रुपया 45 रुपये से नीचे लुढ़क रहा था। विदेशी बाजार में अन्य मुद्राओं के मुकाबले डालर की मजबूती का असर स्थानीय मुद्रा बाजार में भी दिखा। यहां रुपया सुबह नौ पैसे की कमजोरी के साथ 44.92-94 रुपये प्रति डालर पर खुला। बाद के कारोबार में यह 45.02-03 रुपये प्रति डालर के स्तर पर जा पहुंचा।डालर की भारी मांग तथा पर्याप्त आपूर्ति के अभाव ने रुपये पर दबाव बनाए रखा है। इसके अलावा इस साल विदेशी मुद्रा की आवक में भी कमी आई है। यह कमजोरी देश में मुद्रास्फीति स्तर के लिए चिंता का सबब बन सकती है। कारोबारियों का मानना है कि मुद्रा बाजार में अनिश्चितता आने वाले दिनों में भी जारी रह सकती है।
Wednesday, September 10, 2008
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