अमेरिकी मीडिया की ख़बर में भारत अमेरिकी परमाणु क़रार के तथ्यों पर सवाल उठे हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिल्ली में इमरजेंसी बैठक की. आईएईए मुख्यालय में आज से एनएसजी की अहम बैठक हो रही है.वियना में आज 45 सदस्य देशों वाले परमाणु आपूर्तक समूह (एनएसजी) की दो दिन की बैठक शुरू होने के ठीक एक दिन पहले प्रतिष्ठित अमेरिकी दैनिक वॉशिंगटन पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी में बुश prashaasan ने अमेरिकी कांग्रेस की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा था. पत्र में स्पष्ट किया गया था कि अमेरिका भारत को संवेदनशील परमाणु टेक्नोलोजी नहीं देगा और यदि भारत ने भविष्य में कभी भी परमाणु परीक्षण किया तो उसके साथ परमाणु सहयोग तत्काल बंद कर दिया जाएगा.बुधवार की शाम यह ख़बर आते ही दिल्ली की राजनीति में हड़कंप मच गया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आनन फानन में अपने निवास स्थान पर कांग्रेस कोर कमिटी की आपात बैठक बुला ली जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने भी शिरकत की. इस बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया गया. मनमोहन सिंह ने न केवल अमेरिका में भारत के राजदूत रोनेन सेन से फ़ोन पर बात की बल्कि भारतीय परमाणु प्रतिष्ठान के प्रमुख अनिल काकोदकर को भी तुंरत दिल्ली आने को कहा. सरकार और कांग्रेस का कहना है कि बुश प्रशासन द्वारा अमेरिकी कांग्रेस को लिखे पत्र में कुछ भी नया नहीं है. विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हम कि अन्य देश की सरकार के आतंरिक दस्तावेजों पर टिप्पणी नहीं करते. हम केवल अमेरिका के साथ किए गए द्विपक्षीय समझौते, भारत के लिए तैयार निगरानी समझौते और एनएसजी से मिलने वाली स्पष्ट छूट द्वारा निर्देशित होंगे. उन्होंने कहा कि परमाणु परीक्षण के बारे में भारत की राय सभी जानते हैं.भारत अभी तक एनएसजी से स्पष्ट और बिला शर्त छूट की मांग करता रहा है. लेकिन बुधवार की शाम प्रणब मुखर्जी ने 'बिला शर्त' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार ने संसद और जनता से झूठ बोला है. हमें बताया जा रहा था कि उन्नत परमाणु टेक्नोलोजी मिलेगी, लेकिन यह सब धोखा था. इस सरकार को तुंरत इस्तीफा दे देना चाहिए. वाम दलों ने भी कहा है कि भारत अमेरिका परमाणु समझौते के बारे में उनकी सभी आशंकाएं सही सिद्ध हो रही हैं.
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