Sunday, September 7, 2008

नैनो के निर्माण पर सहमति बनी

टाटी की नैनो कार
नैनो कार का निर्माण सिंगूर कारख़ाने में ही हो रहा
दुनिया की सबसे सस्ती कार कही जाने वाली टाटा की नैनो कार की बाधाएँ दूर हो गईं हैं और इसका निर्माण कार्य फिर शुरू हो सकेगा.:नैनो के निर्माण के लिए सिंगुर स्थित टाटा की फैक्टरी के लिए ज़मीन के विवाद पर विपक्षी तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच सहमति बन गई है.राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी की मध्यस्थता में बातचीत के बाद यह समझौता हुआ है.समझौते के बाद तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने पिछले 15 दिनों से सिंगुर में चल रहा आंदोलन भी वापस लेने की घोषणा की है.रविवार को राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी की मौजूदगी में ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य और अन्य प्रतिनिधियों के बीच क़रीब छह घंटे तक बातचीत चली.बातचीत के बाद संवाददाता सम्मेलन में समझौते की घोषणा की गई. प्रेस कॉन्फ़ेंस में संयुक्त घोषणापत्र जारी किया गया है.घोषणापत्र के मुताबिक़ जिन किसानों ने ज़मीन अधिग्रहण के लिए सहमति नहीं दी है, उन्हें परियोजना क्षेत्र और आसपास के इलाक़ों से ज़मीन देने की घोषणा की गई है.

समझौता:किसानों को कितनी ज़मीन किन इलाक़ों में दी जाएगी, इसके लिए एक सप्ताह के अंदर एक संयुक्त समिति बनाई जाएगी.यह भी तय किया गया है कि जब तक संयुक्त समिति अपना काम नहीं कर लेती, नैनो के कल-पुर्ज़े के प्लांट में काम नहीं होगा.तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने ख़ुशी जताई है कि इस मुद्दे पर सहमति हो गई है. संयुक्त घोषणापत्र पर विपक्ष के नेता पार्थो चटर्जी और उद्योग मंत्री निरुपम सेन ने हस्ताक्षर किए हैं.


बातचीत में मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य भी शामिल हुए

संवाददाता सम्मेलन के दौरान ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य, राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी, विपक्ष के नेता पार्थो चटर्जी और उद्योग मंत्री निरुपम सेन भी मौजूद थे.सिंगुर में टाटा की नैनो परियोजना के लिए सरकार ने किसानों की ज़मीन का अधिग्रहण किया था. लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस इसका विरोध कर रही थी.पिछले दिनों ममता बनर्जी के नेतृत्व में निर्माणाधीन टाटा फ़ैक्टरी के बाहर बड़ी संख्या में लोगों ने आंदोलन शुरू किया था. विरोध के कारण टाटा की फ़ैक्टरी में कामकाज भी बंद था.टाटा ग्रुप के चेयरमैन ने तो चेतावनी दी थी कि अगर हालात यही रहे तो उन्हें अपनी परियोजना कहीं और ले जानी होगी. इसके बाद ही राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के नेतृत्व में बातचीत शुरू हुई.

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