Wednesday, September 17, 2008

अस्पताल के बाहर गरीब महिला ने दिया बच्चे को जन्म


दो घंटे तड़पती रही

गढ़मिरी पंचायत की एक गरीब आदिवासी महिला ने कल रात्रि 9.15 बजे जिला हॉस्पिटल के बाहर एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देकर उन चिकित्सकों की काबिलियत पर प्रश् चिन्ह खड़ा कर दिया जिनके द्वारा उक्त महिला का प्रसव प्रकरण गंभीर और जटिल बताते हुए बड़े हॉस्पिटल के लिए रिफर कर दिया गया था।
इस प्रदेश का एक हिस्सा ऐसा भी जहां जिला हॉस्पिटल होते हुए भी एक गरीब आदिवासी महिला को हॉस्पिटल के बाहर नवजात को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह शर्मनाक घटना भोपालपट्टनम, कोंटा या उसूर जैसे किसी सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्र का नहीं बल्कि जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा के जिला हॉस्पिटल का है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुआकोंडा ब्लॉक के गढ़मिरी निवासी गागरू की 25 वर्षीय पत्नी देवे को प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद लगभग 15 किमी कांवड़ में दंतेवाड़ा हॉस्पिटल शाम 5.30 बजे लाया गया। लगातार 2 घंटे तक प्रसव पीड़ा में तड़पती रही। इस बीच औपचारिक जांच पश्चात डयूटी पर तैनात चिकित्सक द्वारा प्रसव में जटिलता बताते हुए बड़े हॉस्पिटल के लिए रिफर कर दिया गया। डिस्चार्ज की पर्ची हाथ में थाम देवे का पति उसकी बुजुर्ग सास एवं ससुर हॉस्पिटल के बाहर निकल सबसे मदद की गुहार लगाते रहे और प्रसव दर्द में तड़पती रही। आखिरकार पौने दो घंटे के भयानक प्रसव पीड़ा पश्चात उक्त महिला ने हॉस्पिटल के बाहर पोर्च में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के दौरान घर की महिलाओं ने चादर और फटी साड़ी की आड़ बनाकर महिला की लाज बचाने प्रयास किया। इस पूरे मामले में सबसे शर्मनाक बात ये रही कि प्रसव पश्चात भी हॉस्पिटल में मौजूद किसी भी महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने जच्चा-बच्चा की मदद करना मुनासिब नहीं समझा। जब गरीब व्यक्ति ने अपनी बीवी को प्रसूति वार्ड में ले जाने के लिए निवेदन किया गया तो नर्स द्वारा स्पष्ट जवाब दिया गया कि तुम लोग पकड़कर अंदर लाओ हमें फुर्सत नहीं है। इसी बीच अचानक मौके पर मौजूद हमारे प्रतिनिधि को घटना की जानकारी मिली तो उसने तत्काल इसकी जानकारी डयूटी पर मौजूद डॉ. शांडिल्य को दी। हॉस्पिटल के बाहर प्रसूति की बात सुन हतप्रभ डॉ. शांडिल्य ने तुरंत स्ट्रेचर के सहारे महिला और बच्चे को प्रसूति वार्ड में ले जाने के लिए आदेशित किया। मगर तब तक वह महिला अपने परिजनों का सहारा लेकर पैदल 100 गज की दूरी तय कर चुकी थी। स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में बस्तर आज भी कितना पिछड़ा है, इस बात को दर्शाने इससे बड़ा उदाहरण कुछ और नहीं हो सकता। घटना की खबर सर्वप्रथम दंतेवाड़ा से लांच कर वेबसाइट बस्तर इंडिया डॉट काम ने कल देर रात प्रकाशित की तब उच्च अधिकारियों की नींद खुली। मगर अभी दोषी कर्मचारियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो पाई ह

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